शनिवार, ६ जानेवारी, २०१८

वेलकम अगेन...



प्रतिकात्मक छायाचित्र

(हा प्रसंग व त्यातील पात्रे पूर्णपणे काल्पनिक असून छायाचित्रही प्रतिकात्मक आहे, याची वाचकांनी नोंद घ्यावी.)

त्या... हो त्याच महाबळेश्वरसदृश निसर्गरम्य पर्यटनस्थळी दरीच्या टोकावर अवघ्या चार सागाच्या ओंडक्यांवर उभारलेला उदय शेट्टीचा तो वन रुम महल... त्या समोरच्या एका डेरेदार वटवृक्षाखाली एक टेंट... त्या टेंटमध्ये एका बाजल्यावर त्या दोन अतिलावण्यवती ललनांकडून फेशियल करवून घेण्यासाठी नेहमीप्रमाणं पहुडलेला उदयभाय... त्याच्या डोळ्यांवर गारव्यासाठी ठेवलेले काकडीचे काप –नेहमीप्रमाणं... मजनुभायच्या संपूर्ण तोंडावर लावलेला फेशियलचा लेप- तोही नेहमीप्रमाणेच... तेवढ्यात मजनुभायची त्याच्या दोन पंटरांसमवेत तिथं झालेली एंट्री... तीही नेहमीप्रमाणंच... उदयभायच्या उजव्या डोळ्यावरील काकडीचा काप त्यानं उचलून खाणं... तेही... एकदम बरोबर... नेहमीप्रमाणंच...

(अब आगे)

मजनु:  क्या भाय वेलकम बॅक फ्लॉप हो गई, फिर भी तुम अभी भी ये मेकप-वेकप सब छोडा नै।

उदय: अबे, मजनु, साले तू येडा का येडा ही रहेगा। एक पिच्चर फ्लॉप हुई तो क्या? अपने पास बँकॉकवाले की दुआ से अभी भी बहोत माल है। और एक बनाएँगे। उसमे क्या है?

मजनु: ये बात तो ठीक है। लेकिन कभी समझ लो, वो भी पिच्चर फ्लॉप हो गई तो, समझ लो कही सचमुच में तुम को बाजार में कांदे ले लो, आलू ले लो करते हुए कांदा –बटाटा न बेचना पडे?

(मजनुभाय स्वतःच्याच या वाक्यावर दात विचकून, डोळे मिचकावून मोठमोठ्यानं हसू लागतो. त्यावर त्याचे पंटरही त्याला जोराची टाळी देऊन हसू लागतात. तेवढ्यात डोळे झाकलेल्या अवस्थेतच उदयभाय त्याच्या गालावर जोराची चापटी देतो.)

उदय:  स्साला, जब भी मुँह खोलेगा, गंदगीही निकलेगी। तेरे जलने की बदबू आ रही हैं मुझे। जल्दी बक, क्या बकने आया था, और निकल ले जल्दी से।


मजनु: भाय, आजका पेपर पढे की नहीं। या सुबह आँख बिना खोले ही यहाँ मसाज के लिए लेट गए हो।
(पुन्हा फिदीफिदी हसतो. आता उदयभायला गुस्सा कंट्रोल होत नाही. तो उठून मजनुला मारणार, एवढ्यात त्याला काही आठवतं...)

उदय: (स्वतःच्यात हृदयावर हात ठेवत स्वतःला समजावतो) कंट्रोल... कंट्रोल... अरे, तुने पढा है तो तू बता न्ना।

पंटर-: भाय, अगर मजनुभाय को पढना आता, तो हमें अपनी नौकरी पर क्यूँ रखता? (आता पंटर-१ पंटर-२च्या हातावर टाळी देतो.)

मजनु: (स्वतःची पोलखोल सहन न होऊन गडबडीनं..) अबे चूप कर ओय । (उदयभायकडं वळत) तो भाय पेपर में ऐसा छपा है के सरकार हम लोग को अभी पुलिस प्रोटेक्शन देने का सोचरैली है।

उदय: हम लोग को... मतलब?

मजनु: क्या भाय हम लोग को मतलब- हम लोग को... हम अंडरवर्ल्डवालों को।

उदय: मैने तेरे को सही पैचाना था। तू येडा ही है। अबे अगर तू किसी की सुपारी लेगा, तो क्या उसका गेम बजाने के लिए साथ में पुलिस को ले जाएगा?

मजनु: हाँ, भाय... ये बात तो अपने दिमाग में आईच नै। (आता ट्यूबलाईट पेटून) और भाय सोचो ना.. अगर फिर भी गेम बजाने के लिए साथ में पुलिस रहेगी तो अपना काम कितना आसाँ हो जाएगा। हम पुलिस को लेकर उसके एरिया में घुसकर उसको आराम से मारेंगे... और सोचो पुलिस प्रोटेक्शन मे ही आराम से निकल लेंगे। हम रहेंगे तो पुलिस को कोई हाथ भी नहीं लगाएगा। और पुलिस साथ में रहेगी तो अपना भी कॉन्फिडन्स कितना बढेगा ना भाय, सोचो।

उदय: बात तो सही है। लेकिन पहले ये बता, ये सरकार हमें काय को प्रोटेक्शन दे रही है? कहीं साथ में रहकर अपना गेम बजाने का तो इरादा नहीं। मैंने अब तक ५६ फिल्म में ऐसे ५६ क्रिमिनल्स को ऐसे ही मारा था... भगा भगा के।

मजनु: नहीं भाय... सरकार बोल रहेली है के जो भी अंडरवर्ल्डवाला उनके पास प्रोटेक्शन माँगेंगा, उसको वो देंगे।

उदय:  लेकिन, मेरी समझ में ये नहीं आ रहा, के ऐसा कौन XXX अंडरवर्ल्डवाला है, जो अपनी हिफाजत के लिए पुलिस के पास जाएगा? और फिर सरकारी प्रोटेक्शन मनी की रेट भी अपने से ज्यादा ही होगा ना? परवडेगा किसको?

मजनु: नहीं भाय, वैसा नहीं है। जो प्रोटेक्शन माँगेगा, उसके साथ हर वक्त पुलिस रहेगी और उसको वो कोई गैरकानूनी काम नहीं करने देगी। लेकिन भाय, एक बात तो है, आपके इन काले कपडोंवाले मुश्टंडो से ज्यादा अगर आप पुलिस प्रोटेक्शन में निकलोगे क्या वट होगी आपकी शहर में। आपके बंगले के बाहर पुलिस... आपके साथ पार्टियों में पुलीस... फिल्म की शूटिंग में पुलिस... भाय.... सोचो... सोचो....

(उदयभाय ट्रान्समध्ये जातो... मजनुनं केलेल्या वर्णनांची दृश्यं त्याच्या नजरेसमोर तरळू लागतात... तो हरखून जातो...)

उदय: वाह रे मजनु, क्या अक्ल की बात की है तुने... जल्दी से अपनी अर्जी तैयार करने को बोल... इस शहर में सबसे पहले पुलिस प्रोटेक्शन मुझे ही मिलना चाहिए... याद रख्ख।

मजनु: (विचारमग्न होत) भाय, वो सब तो मैं मॅनेज कर लूँगा... लेकिन फिर आप कोई गैरकानुनी काम नही कर सकोगे, उसका क्या?

उदय: (प्रेमानं त्याच्या डोक्यावर टपली मारत) वो सब सँभालने के लिए तू और तेरे ये पंटर है ना भाय...

(असं म्हणत आता उदयभाय विकट हास्य करू लागतो... मजनु आणि त्याचे पंटर एकमेकांकडं पाहात तिथून कल्टी मारतात...)


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